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नया चेहरा बदल कर साले-नौ हर साल आता है / ईश्वरदत्त अंजुम

 
नया चेहरा बदल कर साले-नौ हर साल आता है
ख़ुशा ऐ दिल ज़माना साले-नौ के गीत गाता है

ये साले-नौ की आमद का असर है दोस्तो शायद
घने दिल का ताइर शादमां है चहचहाता है

नयी आशाएं, उम्मीदें, उमंगे, मुस्कुराती हैं
अंधेरे में उजाला साले-नौ जब ले के आता है

मसर्रत की कोई उम्मीद जागी है हर इक दिल में
ये पैग़ाम-ए-मसर्रत और खुशियां साथ लाता है

गुजश्ता साल ने तो कर दिया ज़ेरो-ज़बर हम को
हमें ये देखना है साले-नौ क्या गुल खिलाता है

स्वागत कर तू सिद्दके-दिल से साले-नौ का ऐ अंजुम
कि साले-नौ खुशी की इक नई सौगात लाता है।