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नया छंद लिखै हेमंत / मुकेश कुमार यादव

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खेत धान, गाय छै गान।
किसान रो बढ़ाय छै मान।
गन्ना रो रस चुसी-चुसी।
काम करै छै खुशी-खुशी।
देखी के अंगुर रो गुच्छा।
मौज मनाय छै बच्चा-बच्चा।
सेव, नारंगी पक्का खाय।
सब रो जी गेलै जुड़ाय।
साफ-सफाई।
करै छै भाई।
गांव-शहर से दूर बीमारी।
घर-घर में खुशहाली ऐतै।
अगहन-पूस निराली ऐतै।
अरहर, धान खमारी ऐतै।
चारों ओर खुमारी छैतै।
क्यारी-क्यारी।
बेशुमारी।
देरी-द्वारी।
वर्षा पानी भेलै बंद।
नया छंद लिखै हेमंत।