भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नया जमाना / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
आज
लड़की घर को
समझती है पेइंग गेस्ट
ठगे से माँ-बाप
हैरान हैं
नए जमाने की हवा देखकर
थोड़े परेशान हैं
सुनो जी, हवा तो
हमारे जमाने में भी
चलती थी
हां जी !
चलती तो थी
श्रीमती जी ने
खांसते हुए कहा
पर जबकि हवा में
यह
फेसबुक, याहू मैसेंजर
या
ट्विट्र की चिड़िया
कहां होती थी !
बदल गया जो जमाना
अब हमें ही यहां कित्ता रहना !