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नया नगर बसाईं जा / हरेश्वर राय
Kavita Kosh से
उ घर, घर ना ह जवना प कवनों छानी ना होखे
उ नैन कइसन, जवना में कवनों पानी ना होखे I
दाम्पत्य के देवाला निकले में इचिको देर ना लागे
त्याग-समरपन के राही जदि दुनों परानी ना होखे I
दिल के अइसन सिंघासन के का मतलब हरेशवर
जवना प बइठल कवनों रानी-महरानी ना होखे I
ओह जिनिगिया के कीमत दू कौड़ी के रहि जाला
जवना में चानी काटे के कवनों कहानी ना होखे I
अब चलीं सभे चलीं जा एगो नया नगर बसाईं जा
जहाँ खाली प्यारे-मोहब्बत होखे शैतानी ना होखे I