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नया फिर आँख में सपना सजाना है / रंजना वर्मा
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नया फिर आँख में सपना सजाना है
वही सपना न दुख जिस मे पुराना है
जरा यह सोच लो है क्या तुम्हें करना
करो वह ही कि जो सब से सुहाना है
दिखायी दे सभी को न्याय का रस्ता
अँधेरी राह पर दीपक जलाना है
मिला जो भी हमें है इस जमाने से
अब उसका कर्ज हमको ही चुकाना है
सभी कर्तव्य के पथ को भुला बैठे
तुझे फिर साँवरे जग में बुलाना है
अहिंसा सत्य के पथ पर चलें सारे
हमें भगवान को भी मुँह दिखाना है
वतन अपना हमें आवाज़ है देता
बंधा जो नेह का रिश्ता निभाना है