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नया फूल गुलशन में खिलता कहाँ / हरिवंश प्रभात

नया फूल गुलशन में खिलता कहाँ है।
ये दिल दोस्तों से बहलता कहाँ है।

नया है ज़माना, तरीके नये हैं,
पुराना कोई नोट चलता कहाँ है।

जिगर में नहीं चोट पहुँचाओ यारों,
ये दरका हुआ दिल भी सिलता कहाँ है।

समय सुन लो बलवान होता है हरदम,
हमेशा किसी का भी चलता कहाँ है।

सताते रहेंगे हमेशा ही जालिम,
जो पत्थर का दिल है पिघलता कहाँ है।