नया भारत / महेन्द्र भटनागर
संघर्षों की ज्वाला में
हँस-हँस,
नव-निर्माणों के गीत
उमंगों के तारों पर
जन-जन गाता है,
भारत अपने सपनों को
सत्य बनाता है !
मज़बूत इरादों को लेकर
श्रम-रत हैं नर-नारी,
उगलेगा फ़ौलाद भिलाई
झूमेगी क्यारी-क्यारी !
बदला कण-कण भारत का,
बदला जीवन भारत का !
भागे मूक उदासी के साये
उल्लासों के सूरज चमके हैं,
युग-युग के त्रास्त सताये
मुरझाये मुखड़े दमके हैं !
दुर्भाग्य दफ़न अब होता है,
उन्मुक्त गगन अब होता है !
कलियाँ खिलने को तरसायीं जो,
गदराई अमराई में
भोली-भोली कोयल
मन के गीत न गा पायी जो,
अब तो
आँगन-आँगन कैसा मौसम आया !
कलियाँ नाचीं,
कोयल ने मन-भावन गायन गाया !
जीवन में अभिनव लहरें हैं,
चंदन से बुद्बुद् छहरे हैं !
क्रोधित चम्बल
खिल-खिल हँसती है,
बाँधों की बाहों में
अलबेली-सी
अपने को कसती है !
लो हिन्द महासागर से
बादल घिर आया,
धानी साड़ी पहन
धरा ने आँचल लहराया !
जीवन के बीज नये
अब बोता भारत है !
मानवता के हित में
रत होता भारत है !