नया रिपब्लिक / मनमोहन
वे कहते हैं
हत्यारा है तो क्या हुआ
हमारा है
जादू जानता है
बिना आवाज़
सर को धड़ से जुदा कर देता है
बच्चे को तलवार की नोंक पर उठा लेता है
खेल-खेल में
जेब से पैसे
थाली से रोटी
हाथ से लुकमा
ग़ायब कर देता है
कितना साफ़ कितना सफ़ेद झूठ बोलता है
कौन कह सकता है कि
झूठ बोलता है
जो कुछ बोलता है
बिन्दास बोलता है
डँके की चोट पर बोलता है
बकते रहो, देशद्रोहियो !
कि घटिया है
कि बेहया है
वो क्या किसी की परवाह करता है
वो क्या किसी से डरता है
जो कुछ चाहता है
कर गुज़रता है
हर बार
जब शिकार से वापस लौटता है
बन्दूक लिए
कन्धे पर किसी लाश को डाले
या किसी बस्ती को उजाड़ कर
या कुछ रौन्द कर, कुचल कर
गिरा कर या मिटा कर
तो मँच पर आता है
पसीना पोंछता है
हाथ-मुँह धोता है
गान्धी की तस्वीर पर
फूल चढ़ा कर दिखाता है
दर्प से मुस्कराता है
हाथ हिलाता है
और भीड़ से कहता है — ज़रा, ज़ोर से बोलो
भारत माता की जय !
वे चीख़ते हैं
तालियाँ बजाते हैं
कहते हैं — मस्त !
कहते हैं — वाओ !
वाओ जानेमन !!
हाउ मैनली ! हाउ कूल !!
जुग जुग जियो हमारे शेर !!
वे कहते हैं —
वाओ ! भारत माता के सपूत !
एक बार फिर से हमारे लिए आओ
एक बार फिर से अपना ज़ल्वा दिखाओ
एक बार फिर से हाँका लगाओ ।