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नया वर्ष है आया / सच्चिदानंद प्रेमी
Kavita Kosh से
नया वर्ष है आया भाई
नया वर्ष है आया,
नई-नई ले अभिलाषाएं,
ह्रदय- सुमन मुस्काया!
कल की बातें हुई पुरानी-
बीती रजनी काली,
उदय श्रिंग से फूट रही है
ऊषा की नवलाली;
कण-कण पर है नई उमंगें-
मन मानस लहराया!
सूखे तरुओं पर नव पल्लव-
की छाई अरुणाई,
गीत विहग के खुले पंख में
जागी नव तरुनाई ;
नए वर्ष में नए हर्ष का-
उत्सव साज सजाया!
दुःख की घटा न घेरे छन भर-
सुखद केतु नित फहरे,
चंदा को छूने को ललकें-
मन-अम्बुधि की लहरें;
आशा की किरणों से दृग में
नव प्रकाश है छाया।
नया वर्ष है आया भाई
नया वर्ष है आया।