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नया साल? / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
Kavita Kosh से
नया साल उनखा लेल छीकै जिनखा पास रूपैया।
जंगल जायकेऽ धूम मचैतै, नाचतै ता-ता थैया।
भूखना भूखनी केऽ की मालूम
नया साल कहिया अयतै?
बिना लगन कऽ गाँव नगर में-
ढोल ढाक, बाजा बजतै।
सटलऽ पेट, बदन अधनंगा, हवा चलै पछवैया।
नया साल उनखा लेल छीकै जिनखा पास रूपैया।
लाल कार्ड केऽ पैसा मुश्किल,
पीला कार्ड मनमोहना।
ढीका पट्टा, काम नदारद,
खाली हाथ न गहना।
भूमिहीन, छप्पर डमखोला, बिकलै बकरी गैया।
नया साल उनखा लेल छीकै जिनखा पास रूपैया।
सरकारी झुनझुना लुहावन,
मगन ठगन अधिकारी।
सरजमीन पर कुछ नैंपाबऽ,
मगरमच्छ व्यापारी।
टुक टुक कब तक ताकभौ बोलऽ बहना, बाबू भैया?
नया साल उनखा लेल छीकै जिनखा पास रूपैया।
जंगल जायकेऽ धूम मचैतै, नाचतै ता-ता थैया।
-मुक्त कथन, 12 जनवरी, 2013