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नया साल आया / गीत गुंजन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
नया साल आया॥
पेड़ों की फुनगी पर
बोरसी की जिनगी पर ,
हरियाली डालों पर
गोरी के गालों पर ,
भूल चुके वादों पर
नित नए इरादों पर ,
अपराजित रूप पर
गुनगुनी सी धूप पर
जीवन लहराया।
नया साल आया॥
ग़ज़लों पर बहरों पर
सागर की लहरों पर ,
छलक रही गगरी पर
इस सारी नगरी पर।
यौवन की गंध लिये
खुशियाँ अमन्द लिये।
घावों के मरहम पर
साँसो की सरगम पर
गीत नया गाया।
नया साल आया॥
दुर्गम प्राचीरों पर
रेत की लकीरों पर।
भूली पगडंडी पर ,
इस बयार ठंडी पर।
गलियों चौबारों पर
आँगन पर द्वारों पर।
संदेशों चिट्ठी पर
लाल रंग मुट्ठी भर
भर कर बिखराया।
नया साल आया॥