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नया साल / मख़दूम मोहिउद्दीन
Kavita Kosh से
करोड़ो बरस की पुरानी
कुहनसाल<ref>बहुत प्राचीन</ref> दुनिया
ये दुनिया भी क्या मस्ख़री है ।
नए साल की शाल ओढ़े
बसद तंज़, हम सब से यह कह रही है
के मैं तो "नई" हूँ
हँसी आ रही है
शब्दार्थ
<references/>