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नयी होती हुई / नंदकिशोर आचार्य

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आओ
न सही मेंह-सी
रेत-सी ही सही
आँधी-सी घेर लो
तपता हुआ आकाश
भरने दो रोम-रोम
अपने से
झरने दो
अपने को
नयी होती हुई।

(1991)