नये चेहरे यहाँ ऐसे भी निर्मित हो रहे हैं
जो औरों के कहे पर आज चर्चित हो रहे हैं
कहाँ वो लोग हैं जिनको है मिट्टी ने बनाया
हमारे सामने पत्थर ही विकसित हो रहे हैं
हर इक दिन हमने मीलों-मील सड़कें हैं बनायीं
मगर रस्ते हमारे फिर भी बाधित हो रहे हैं
हमारी नींद है जो आँखों से जाती नहीं है
हमारे ख़्वाब सारे काल-कवलित हो रहे हैं
ये गुज़रा वक़्त हमको इतना पीछे ले गया है
हम अपनी शायरी से भी अचंभित हो रहे हैं