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नये वर्ष तुम आओ लेकिन / ज्ञान प्रकाश आकुल
Kavita Kosh से
असमय तोड़े गये डाल से
जो पथ में बिछ गये बेचारे,
नये वर्ष तुम आओ लेकिन
तुम उन सुमनों को क्या दोगे ?
रहे अहर्निश राह देखते जागे बिना पलक झपकाये
धूल धूप से रहे अविचलित पानी बरसे आंधी आये
पलकों से है राह बुहारी
पथ से शूल हटाये सारे
नये वर्ष तुम आओ लेकिन
तुम उन नयनों को क्या दोगे ?
दूर दूर तक महक रहा पथ महक उठी है धरती पूरी
यह सुगन्ध लाने को जिनके तन से आयी है कस्तूरी
पल भर की खुशबू की खातिर
जो बैठे हैं सब कुछ हारे
नये वर्ष तुम आओ लेकिन
तुम उन हिरनों को क्या दोगे ?
सुमनों नयनों या हिरनों को यद्यपि कोई चाह नहीं है
फिर भी गलत बात है तुमको यदि उनकी परवाह नहीं है
जिन वचनों ने पल पल गाये
हँस कर स्वागत गान तुम्हारे
नये वर्ष तुम आओ लेकिन
तुम उन वचनों को क्या दोगे ?