भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नये साल में / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
बहुत दिया है बीते क्षणों ने
बीते पलों ने
साल गये जो
उनका अभिनन्दन है
और नये जो आयेंगे पल
नया साल
लेकर सौ खुशियाँ
उनका भी अभिनन्दन है
उन दुःखों का भी
जिनके बिना जीना
कितना दूभर हो जाता है ।