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नरेन्द्र दाभोलकर के लिए / मनोज पाण्डेय
Kavita Kosh से
न तो अपनी मन्नत-मनौती से
न बद्दुआओं से
न वशीकरण से
न मारन-उच्चाटन से
न मूठकरनी से
न अपने तमाम छल-प्रपंचों से
और हाँ...
न अपने शापऽऽऽऽ से
हरामखोरों तुम नहीं मार पाए
आखिर मर कर भी
वही जीता
उसकी बात साबित हुई
"गोली दिल में लगे तो जान जाती है"