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नर्गिस क़लम हुई है सजन तुझ नयन अगे / वली दक्कनी

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नर्गिस क़लम हुई है सजन तुझ नयन अगे
शक्‍कर डुबी है आब में तेरे बचन अगे

ग़ुंचे कूँ गुल के आब में आना मुहाल है
तेरे दहन की बात कहूँ गर चमन अगे

डाला है तेरे चीरे ने ग़ुंचे कूँ पेच में
हर गुल है सीना चाक तेरे पैरहन अगे

है तुझ नयन के पास मेरा अजज़ बे असर
ज़ारी न जावे पेश कधी राहज़न अगे

कर हाल पर 'वली' के पिया लुत्फ़ सूँ नज़र
लाया है सर नियाज़ सूँ तेरे चरन अगे