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नर तन जतिया, भोर वकतिया / नारायणदास
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॥झूमर॥
नर तन जतिया, भोर वकतिया, न करे भगतिया ना।
हाय राम! गजर-बजर में गेलै उमरिया, बिगड़ल मतिया ना॥1॥
झूठ चोरी जारी नशा व्यभिचारी, करै दिन-रतिया ना।
हाय राम! साधु-संत के बुझै न बतिया, करै जीव हत्या ना॥2॥
सब देवा-देवी बनाय के पुजलौं, माटी मुरतिया ना।
हाय राम! गुरु-मुरतिया कभी न पुजलौं, भुललै सुरतिया ना॥3॥
देवी के आगु में बकरी के बच्चा के, सिरा कटाबै ना।
हाय राम! एक दिन बदला तोहरो लेतौ, सुन रे कसैया ना॥4॥
हरि-भजन कर छोड़ौ कुसंगतिया, पाइबै सुगतिया ना।
हाय राम! कहै ‘नारायण’ सुन री सखिया, पाइबै सुगतिया ना॥5॥