नवगीत / शीला तिवारी
माँ भारती के चरणों में नवगीत लायी हूँ।
समवेत स्वर में गाओ नवगीत लायी हूँ।।
उठते हैं हर स्वर में बलिदान की गाथा
शब्दों को जो बो देती बन जाता तिरंगा
गाने लगते हैं भारत की गौरव गाथा
कलम की ताकत से आवाज उठाएंगे
हित में बुरा कुछ भी हो पटल देती लायेंगे
माँ भारती के चरणों में नव गीत लायी हूँ।
समवेत स्वर में गाओ नवगीत लायी हूँ।।
राम, कृष्ण की धरती, गाँधी-पटेल की भूमि
सत्य, अहिंसा के हथियारों से भागी दुश्मन की टोली
विश्व में भाईचारा, शांति का पाठ हम देते
देश को बाहर से ज्यादा भीतर ही लूटे
जात-पात, भ्रष्टाचार से हम टूटे
देश की प्रगति को हम तैयार आए हैं
माँ भारती के चरणों में नवगीत लायी हूँ।।
समवेत स्वर में गाओ नवगीत लायी हूँ।।
माँ शारदे, ताकत मेरी कलम में भर दे
शब्दों की तीक्ष्णता, विलक्षणता का वर दे
कलम चलती रहे अन्याय, अत्याचार हरण को
हर बुरे पापों के नाश व दमन करते
रावण, दु:शासन का रक्त बीज मिटा देंगे
माँ भारती के चरणों में नवगीत लायी हूँ।
समवेत स्वर में गाओ नवगीत लायी हूँ।।