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नवतुरिया / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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सावधान! हमरासँ हटले रहू
थिकहुँ हम सब नवतुरिया,
घोरिदेब हम हवा-पानिमे
चुप्पेचाप जहरकेर पुड़िया
अछि जिजीविषा, मुदा युयुत्सा
अन्तर्मनमे मारि करै’ ए
कुण्ठा ओ सन्त्रास-ग्रस्त छी,
बुद्धि हमर बपहारि कटै’ ए।