Last modified on 6 जनवरी 2014, at 19:59

नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनों से शोभित / हनुमानप्रसाद पोद्दार

नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनोंसे शोभित वृक्ष-लता सपन्न।
होता जहाँ, वायु शीतल-सुरभित-सुमन्दसे सुख उत्पन्न॥
यमुना-पुलिन सुवासित सुन्दर रहता सदा एक शुभ ओर।
वृन्दा-विपिन-वीथियोंमें उन विचर रहे व्रजराज-किशोर॥