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नव-वर्ष अर्चना / मानोशी
Kavita Kosh से
रचनाकार=मानोशी
हो नववर्ष सुमंगलकारी ।
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।
दु:ख के दिन ना कोई हों अब,
बगिया में फूले महकें सब,
जीवन ख़ुशियों का मेला हो
चहके हर आँगन चहुंदिक् सब,
हर घर बच्चे की किलकारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।
काम क्रोध हर कोई त्यागे,
आलोकित अंतरमन जागे,
मानव-मानव भेद रहे ना
ईश-भक्ति में हर मन लागे,
प्रेम रंग खेलें पिचकारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।
सपने पूरे हों हर मन के,
हों संकल्प पूर्ण जीवन के,
जग अँधियारा दूर करो प्रभु
कष्ट मिटे बेबस निर्धन के,
हो यह विनय अमंगलहारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।