नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है / राजबुन्देली
उम्मीदॊं नॆ दर्पण दॆखा,सपनॊं का मंदिर टूटा पाया !
जॊ बैठा सिंहासन पर, जनता कॊ बस लूटा खाया !!
करुणा-कृंदित कितनी, पारी अब तक खॆल चु्कॆ हैं !
हम अपनॆं सीनॆ पर, अगणित तूफ़ाँ झॆल चुकॆ हैं !!
नव-चिंतन का दीप जलाऒ, तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!१!!
यह खूनी अध्याय मिटाऒ, तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!
अब तक दॆखीं हैं हमनॆं, उथल-पुथल की सदियां,
मासूमॊं की चीखॆं और, बहती शॊणित की नदियां,
दंगॊं कॆ दल-दल मॆं है, यह दॆश समूचा धंसा हुआ,
रक्त-पिपाषित मानव भी, काल-कंठ मॆं फंसा हुआ,
अब धर्म-वाद सॆ दॆश बचाऒ, तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!२!!
यह खूनीं अध्याय मिटाओ, तॊ..................................
कितनी बहनॊं नॆं, राखी-बंधन कुर्बान कियॆ हैं,
कितनीं माताऒं नॆं, बॆटॊं कॆ बलिदान दियॆ हैं,
कितनी माँगॊं सॆ हमनॆं, सिंदूर उजड़तॆ दॆखॆ हैं,
कितनॆं कुल कॆ दीप, यहां अर्थी चढ़तॆ दॆखॆ हैं,
अब नूतन किरण दिखाऒ, तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!३!!
यह खूनी अध्याय मिटाऒ, तॊ.................................
स्वार्थ-समंदर मॆं लहराती, राजनीति की नैया,
नहीं किनारा hamne पाया, बदलॆ गयॆ खॆवैया,
कुर्सी पाकर सब नॆता, अपनी चालॆं सॊच रहॆ,
सॊन-चिरैया कॆ पर, बारी-बारी सब नॊंच रहॆ,
दॆश दलालॊं सॆ मुक्ति दिलाऒ,तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!४!!
यह खूनीं अध्याय मिटाऒ, तॊ................................
नव वर्ष अगर आना, नव विकास की आंधी लाना,
सत्य-अहिंसा की लाठीवाला, वापस वॊ गाँधी लाना,
रंग दॆ बसंती चॊला गातॆ,आज़ाद-भगत कॊ आनॆ दॊ,
राष्ट्र-तिरंगा यॆ भारत का,दुनियाँ भर मॆं फ़हरानॆं दॊ,
जन-जन मॆं सद्भाव जगाऒ,तॊ नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !!५!!
यह खूनीं अध्याय मिटाऒ, तॊ.................................