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नव वर्ष मुबारक हो,हर वर्ष मुबारक हो / निदा नवाज़

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लम्हों का घुमाव है
यह सारा जीवन
इन ही की नोक पर
परिस्थितियों की मोरनी के संग
करते रहते हैं हम सब
एक अंतहीन नृत्य
और ये परिस्थितियां ही
लिखती है
हमारे भाग्य की इबारतें
यही खींचती हैं
हमारे जीवन की रूप रेखा
बजाती हैं
हमारी सांसों की बांसुरी
बीनती हैं
हमारे विचारों की ख़ुशबु
समय और स्थान की
मुट्ठी में है सब कुछ
इस से परे कुछ भी नहीं
परिस्थितियों का
उल्ट फेर है समय
और विभिन्न तत्वों के
उलट फेर से हैं
सब जीव जन्तु...
मानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे
सब एक दूजे के आधार
सनातन सम्बन्धी
अनादि काल के भाई-बन्धु
जीवन है मिलने बिछुड़ने
और आकार बदलने का
एक प्राकृतिक उत्सव
कठपुतलियों का
एक विराठ खेल
समय और स्थान की
कड़ियों के बीचऊंबीच
इस विशाल ब्रम्हाण्ड के
एक छोटे से कोने में
इस छोटे से ग्रह पर
रचते हैं हम सब
अपनी अपनी सृष्टि
खेलते हैं
जीवन और मृत्यु का
यह छिपा–छिपी का खेल
मृत्यु जीवन का ही
एक रूप
और जीवन
मृत्यु की कोख का ही
खिला एक फूल
कल, आज और कल
केवल एक काल्पनिक
समय-बंटवारा
हर समय हमारा है
हर वर्ष हमारा है
हम ही होंगे हर समय
परिस्थितियोंयों के पर्व में
रूप बदल कर
आकार बदल कर...
हर समय मुबारक हो
नव वर्ष मुबारक हो
हर वर्ष मुबारक हो.