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नस्ले-आदम में सादगी भर दे / बुनियाद हुसैन ज़हीन
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नस्ले-आदम में सादगी भर दे
अब तो इन्साँ में आजिज़ी भर दे
बिस्तरे-मर्ग पे जो लेटे हैं
उनकी साँसों में ज़िन्दगी भर दे
हम ग़रीबों के आशियानों में
मेरे मालिक तू रोशनी भर दे
भीगी-भीगी रहें मेरी पलकें
इनमें एहसास की नमी भर दे
फ़स्ले-गुल और मैं तही-दामन
मेरे दामन में भी ख़ुशी भर दे
अब तो सारा चमन शबाब पे है
पत्ते-पत्ते में सरख़ुशी भर दे
तेरे नग़मे हों क्यूँ उदास ज़हीन
इनकी रग-रग में शाइरी भर दे