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नहीं आया जहाँ कोई नृत्य करने / केदारनाथ अग्रवाल
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नहीं आया जहाँ कोई नृत्य करने,
वहाँ आओ काल की गहराइयों में
मुक्त होकर प्यार करने ।
नहीं आया जहाँ कोई दीप धरने
वहाँ आओ मौन तम की घाटियों में
ज्योति की झंकार भरने ।