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नहीं इनकार करना है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
नहीं इनकार करना है।
नहीं तकरार करना है।।
मुहब्बत में सगर यारो।
मुझे बस प्यार करना है।।
कहीं रोड़े कहीं पत्थर।
सभी को पार करना है।।
मिले शागिर्द जब अच्छे।
उसे स्वीकार करना है।।
कसम खाऊँ निभाने की।
नयन दो चार करना है।।