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नहीं बेसब्र चाहत होती है / श्याम कश्यप बेचैन

नहीं बेसब्र चाहत होती है
दिल को दिल से राहत होती है

जिसकी जैसी नीयत होती है
उसकी वैसी बरकत होती है

मैंने भी तो चाहा था तुझको
अपनी अपनी क़िस्मत होती है

तुम तो मिल कर खुश होते हो पर
कुछ लोगों को दिक़्क़त होती है

अगर कहीं है धुआँ आग होगी
यूँ ही नहीं शिकायत होती है

गूंगा मत समझो चुप रहने की
कुछ लोगों की आदत होती है

मैं शायर हूँ वहाँ न ले जाओ
जहाँ दिमाग़ी कसरत होती है