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नहीं ये बात अपनापन नहीं है / अभिषेक कुमार अम्बर
Kavita Kosh से
नहीं ये बात अपनापन नहीं है,
बस उससे बोलने का मन नहीं है।
नहीं बदला तुम्हारे बाद कुछ भी
वही दिल है मगर धड़कन नहीं है।
महब्बत करने की तू सोचना मत,
तिरे बस का ये पागलपन नहीं है।
तमन्ना है तुम्हारे दिल को पाना,
मिरी चाहत तुम्हारा तन नहीं है।
वो अब भी दिल दुखा देता है मेरा,
वो मेरा दोस्त है दुश्मन नहीं है।
वो गुड्डे गुड़िया तितली भौंरे जुगनू
सभी कुछ है मगर बचपन नहीं है।
न लगने देना इस पर दाग़ 'अम्बर'
ये तेरा जिस्म पैराहन नहीं है।