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नहीं / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
हड़बड़ नहीं, गड़बड़ नहीं,
जल्दी नहीं, भगदड़ नहीं।
किसने कहा, तू पढ़ नहीं,
किसने कहा, तू बढ़ नहीं ?
ग़लती किसी पर मढ़ नहीं
तू खेल तो, पर लड़ नहीं।