भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाँच बन्दरिया / अंजनी कुमार सुमन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कू छुक-छुक-छुक, छुक-छुक छू
घड़ी के काँटा टिम्बक टू
गिल-गिल, गिल-गिल पौडर फू
मम्मी घर में आबै, छू,

फुदकी चिड़ियाँ चिन-चिन चू
कजरी कोयल बोलै कू
फट-फट, फट-फट, फट-फट फू
पप्पा बिस्कुट लाबै दू,

ता धिन-धिन-धिन, धिन-धिन धू
डमक-डमक-डम डमरू डू
नाच बन्दरिया ता ता थू
मामी लाबै, फिर मामू।