भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाक / वीरेन डंगवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हस्ती की इस पिपहरी को
यों ही बजाते रहियो मौला!
आवाज़
बनी रहे आख़िर तक साफ-सुथरी-निष्कंप