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नागफनी का यह जंगल / अमरेन्द्र
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नागफनी का यह जंगल
मैनें देखा हुआ कँवल
नजर लगे न आँखों को
आँखों में ले लो काजल
चलने का फिर सुख देखो
दुख को तुम कर लो मखमल
कुछ मत पूछो चला कहाँ
जब तक चलता, तू भी चल
एक ओर तलवारें बजे
एक ओर बजती पायल
ऊपर से ही घास बिछी
इसके नीचे है दलदल
अमरेन्दर को माफ करो
अमरेन्दर तो है पागल।