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नागार्जुन की कविता / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
सन उन्नीस सौ अठानवें के
ग्यारहवें महीने की पांच तारीख को
नहीं रहे बाबा नागार्जुन
यह खबर मैंने नहीं पढ़ी
पढ़ रहा था मैं
एक जीती जागती
नागार्जुन की कविता
यानी जीवन से भरी सरिता
रचनाकाल:1998