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नाचे मोर / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
इंद्रधनुष से पंख पसारे
रंग बिरंगे प्यारे-प्यारे
झूम झूम कर घूम-घूम कर
ठुमक ठुमक कर नाचे मोर।
सांझ सवेरे छत पर आए
दादी माँ से चुग्गा पाए
टुक टुक-टुक टुक खाए चुग्गा
चिहुँक चिहुँक कर नाचे मोर।
जंगल में मंगल कर डाले
सूने पन में रंग भर डाले
सिर पर सुंदर मुकुट सजाए
हुमक हुमक कर नाचे मोर।
जब-जब उमड़े घुमड़े बादल
चहक उठे हैं मोरों का दल
कड़के बिजली पड़े फुहार
थिरक थिरक कर नाचे मोर।