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नाच-गाने के तईं पूजन-हबन महँगे परे / नवीन सी. चतुर्वेदी
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नाच-गाने के तईं पूजन-हबन महँगे परे।
हर समय सस्ते समय के आचरन महँगे परे॥
क्रिस्न कौ उपदेस अर्जुन कौ धनुस अपनी जगें।
कौरबन कूँ भीस्म के आसिर्बचन महँगे परे॥
बात रामायन की होवै या हमारे दौर की ।
सोचे-समझे बिन दिये जो हू बचन - महँगे परे॥