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नाटक / चन्द्रकान्त देवताले
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आँख के सामने हमने
हत्या और अँधेरे को एक साथ देखा
पर वह आदमी
मौत के कुएँ से
बाहर निकल ही आया
हँसते और पसीना पोंछते हुए
बच्चों ने राहत की साँस ली
और पत्नी ने निश्चिंत होकर
मेरी तरफ़ देखा
और फिर जब हम उसी तरफ़ देखने लगे दुबारा
तो वह आदमी गन्ना खा रहा था
और एक चिड़िया
अँधेरे के टिब्बे से उड़कर
रोशनी के मैदान की तरफ़
दूर कहीं जा रही थी