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नाता टुटलै / कैलाश झा ‘किंकर’
Kavita Kosh से
गुरु शिष्य के नाता टुटलै।
तहिये भाग्य विधाता रुठलै॥
गुरुवे सें गुरुवाय करै में
अक्षर-कटुआ आस लगैने
कथी लोॅ सीखतै बढ़तै आगू
बैठल छै ऊ जाल बिछैने
जेकरा नै कर्त्तव्य-बोध छै।
वू विरोधी बनी केॅ उठलै॥
चेलबा भस्मासुर भेॅ गेलै
भोला बाबा फेर में पड़लै
पार्वती के नीक बात पर
बर देॅ केॅ सब नियम टुटलै
कर्म करैवाला बर पैतै।
झूठा बर के वादा टुटलै॥
बच्चै में गुरुवैती सीखै
चेला-खुहरी कथी लेॅ बनतै
सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ै में
बेसी देरी कथी लेॅ लगतै
गाड़ी ओवर टेक करै में
ठेहुना टुटलै माथा फुटलै
बड़ऽ लकीर केॅ छोटऽ करै में
नीप-तोल लै ठेलम-ठेला
केकरै नै आबेॅ छोटऽ समझऽ
गुरुवे सब एक्को नै चेला
गुरुवो द्रोणाचार्य भेलऽ छै
ऐ चलतें ई रिस्ता बँटलै।