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नाता : अेक / विरेन्द्र कुमार ढुंढाडा़

नाता जळम रा
बगै मिरतु ताईं
परोटणां
उंचावणा पड़ै
मन मार
कई बार।

बाजै रमझोळ
नातां री
सुण्यां हरखै मन
पण साम्भणी पडै
कड़ी-कड़ी।
टूट्यां कड़ी
अेकाध ई
रोसै मन नै
दोरो करै जीव
जीव री सींव में ई है
नातां री रमझोळ।