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नानी के घर से / श्रवण कुमार सेठ
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					बादल ये जो 
जम के बरसे
आये थे नानी
के घर से।
छतरी उड़ी
हवा के डर से
भीगे सारे पाँव 
तक सर से।
 
	
	

