जन्म हुआ है चार सुतों का,दशरथ के घर बजी बधाई
है संपूर्ण प्रजा हरषाई
नामकरण का शुभ अवसर है
गुरु वशिष्ठ हैं महल पधारे
ग्रह नक्षत्र तिथि बांच पत्रिका
हैं चारो के नाम विचारे
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन, देवों ने दुंदुभी बजाई
तीनों रानी बड़े प्रेम से
बारी-बारी गोद खिलाएं
हो आनंदित देख रही हैं
अचरज से प्रभु की लीलाएं
चारों भाई बड़े प्रेम से खेल रहे हैं छुपम छुपाई
विद्या ग्रहण हेतु पहुंचे हैं
अब गुरुकुल में राज दुलारे
अल्पकाल में सीख लिए हैं
शस्त्र शास्त्र निगमागम सारे
विद्या पाकर राजधर्म में निपुण हुए हैं चारो भाई