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नाम की तख्ती / रश्मि रेखा

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गाँव में हर कोई जानता है हर किसी को उसके नाम से
नाम लिखवा कर घर के सामने लटकाने की ज़रूरत नहीं
शौक की बात अलग है
शहरों में ऊपर-नीचे बने बेतरतीब मकानों की भीड़ में
करीने से टँगी नाम की तख्तियाँ
देती है पता घर बाले का

दीवारों पर पुते नाम
घातुओं की पट्टी पर खुदे नाम
लकड़ी के टुकड़े पर लिखे नाम
संगमरमर की आकृति पर रंगें कलात्मक नाम
देते हैं ख़बर घर की माली हालत की

आप सुनना चाहें तो कई जगह दीवारों पर
पुराने पड़ गए नामों की लटकती तख्तियाँ
सुनाएँगी अपनी दंत-कथाएं
हवा में इतिहास बनकर बचे होनें की
कि लाख चाहने के बाद भी उनकी संततिया
कैसे पार नहीं कर पाई
उनके नाम की परछाईं

बिजली की रोशनी में दूर से दमकते
स्वर्णाक्षरों में अंकित बड़े नामों की तख्तियाँ
उनपर लदे ओहदों की चकाचौंध
उनकी चौकसी करते हथियारबंद प्रहरियों की गश्त
एक दिन हो जायेंगी दूसरों के हवाले

अक्सर समय के इतिहास में
बच जाते है वे ही नाम
जिनके पास नहीं होती है
अपने नाम की कोई तख्ती