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नाम तेरा जब लब पर आया करता था / रंजना वर्मा
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नाम तेरा जब लब पर आया करता था
चेहरा तेरा दिल बन जाया करता था
जब भूले से भी मिल जाती थीं नज़रें
ख़्वाबों में तब तू ही आया करता था
ख़्वाहिश बन के धड़का करता था दिल मे
साँसों में मेरी तू ही तो बसता था
खिल उठतीं जब कलियाँ मस्त बहारों में
खुशबू बन तू मुझ को भाया करता था
आतिश से फुरकत की जिस्म झुलसता तो
बादल बन तब तू ही बरसा करता था
घेर मुझे जब लेती थीं यादें तेरी
खुशबू से सब घर भर जाया करता था
मेरे जज़्बातों की सूनी बस्ती में
बस तू ही तो आया जाया करता था