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नाम हूँ मैं, मेरा पता तुम हो / रमेश 'कँवल'

नाम हूँ मैं,मेरा पता तुम हो
मेरे जीने का मुद्दआ तुम हो

मेरी सांसों का सिलसिला तुम हो
मेरी पूजा हो, देवता तुम हो

पत्तियों पर लिखी इबारत मैं
फूल के होंट कालिखा तुम हो

अनसुनी अनकही कहानी मैं
जग में मशहूर फ़लस़फा तुम हो

तुम से शौकत, तुम्हीं‍ से है शोहरत
मैं ग़ज़ल हूँ, मुशायरा तुम हो

सुर्ख टावल में भीगा-गीला बदन
कितना दिलकश मुजस्समा तुम हो

फूल हूँ मैं, है मुझ में आकर्षण
तितलियों सी लुभावना तुम हो

मैं सफ़र, तुम हो मील का पत्थर
चल रहा मैं हूँ, रास्ता तुम हो