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नारी बिन घर सुना, नारी बिन देहु सुना / अनिल शंकर झा

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नारी बिन घर सुना, नारी बिन देहु सुना
सूना-सूना देवथान बिना भगवान के।
राही बिना राह सुना शशि बिना रात सुना
सूना-सूना दिन लागै बिन दिनमान के।
निभै बिन रीत सूना प्रीत बिन मीत सुना
सूना-सूना सुधी जन बिन आत्मज्ञान के।
बिनु रे बलकवा के रमणी के गोद सूना
रमणी के प्रीत सूना बिनु सन्मान के॥