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नाला जुज़ हुस्ने-तलब ए सितम-ईजाद नहीं / ग़ालिब

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नालह जुज़ हुसन-ए तलब अय सितम-ईजाद नहीं
है तक़ाज़ा-ए जफ़ा शिकवह-ए बेदाद नहीं

इशक़-ओ-मज़दूरी-ए-इशरत-गह-ए ख़ुसरव कया ख़ूब
हम को तसलीम निको-नामी-ए फ़रहाद नहीं

कम नहीं वह भी ख़राबी में पह वुस-अत मालूम
दशत में है मुझे वह `ऐश कि घर याद नहीं

अहल-ए बीनश को है तूफ़ान-ए हवादिस मकतब
लतमह-ए मौज कम अज़ सीली-ए-उस्ताद नहीं

वाए महरूमी-ए-तसलीम-ओ-बदा हाल-ए वफ़ा
जानता है कि हमें ताक़त-ए-फ़रयाद नहीं

रंग-ए-तमकीन-ए गुल-ओ-लालह परेशां कयूं है
गर चिराग़ान-ए-सर-ए-रह-गुज़र-ए बाद नहीं

सबद-ए गुल के तले बनद करे है गुल-चीन
मुज़हदह अय मुरग़ कि गुलज़ार में सैयाद नहीं

नफ़ी से करती है इसबात तराविश गोया
दी है जा-ए दहन उस को दम-ए ईजाद नहीं

कम नहीं जलवह-गरी में तिरे कूचे से बिहिशत
यिही नक़शह है वले इस क़दर आबाद नहीं

करते किस मुँह से हो ग़ुरबत की शिकायत ग़ालिब
तुम को बे-मिहरी-ए-यारान-ए वतन याद नहीं