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नाव घिरी मझधार भायला / सांवर दइया

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नाव घिरी मझधार भायला
अब तूं है पतवार भायला

कबूल है अब हर जंग म्हनै
तूं म्हारो हथियार भायला

थारै भरोसै रैवां सदा
म्हारा ऐढा सार भायला

लारै देखूं जद तूं दीसै
मानूं कोनी हार भायला

होठां सूं हरफ कोनी काढूं
पोख भलांई मार भायला