क्या मिश्र क्या यूनान
क्या फारस क्या चीन
क्या भारत क्या माया
क्या अरब क्या अफ्रीका
सहस्रों बरसों में सब जगह
मर गए हजारों देवता सैंकड़ों धर्म
नहीं रहा कोई नामलेवा
हमारे पास नहीं है
मजहब और देवता जैसे लफ्ज
इसीलिए बचे हुए हैं हम और हमारी जुबान.