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नाहीं ऊसर नाहीं मेड़ / जगदीश पीयूष
Kavita Kosh से
नाहीं ऊसर नाहीं मेड़।
नाहीं छेगड़ी नाहीं भेड़॥
जंगल नाहीं ना देखात दूर दूर सजना।
चीन्हि लेवै माई बाप का जरूर सजना॥
लोटा डोरी नहन इनारा।
दुगला उलचै बहै पनारा॥
नाहीं रहिया पुरान उड़ैं धूर सजना।
चीन्हि लेवै माई बाप का जरूर सजना॥
नाहीं खपरैले कै बखरी।
मिलैं गउना वाले जैसे मगरूर सजना।
चीन्हि लेवै माई बाप का जरूर सजना॥
नैहर बीस बरसिया बाद।
केसे लेई आशीर्वाद॥
हियां बदला बाटे सारे दस्तूर सजना।
चीन्हि लेवै माई बाप का जरूर सजना॥